प्रिय साथियों
बहुत दिन से इच्छा हो रही थी कि मीडिया और अन्य निजी संस्थानों में कर्मचारियों पर हो रहे आर्थिक और मानसिक शोषण के खिलाफ कुछ लिखने का। इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा यह थी कि हम किस तरह अपनी बातों को मीडिया के दिग्गजों तक पहुंचाएं। साथ ही किस तरह शोषण के शिकार लोगों को एक मंच पर लाकर एक आन्दोलन खड़ा किया जाए, जिस से कि हम भी अपने अधिकारों के लिए लड़ सकें। तब मैंने फ़ैसला किया कि ब्लॉग से अच्छा और कोई माध्यम नहीं हो सकता इस आन्दोलन को खड़ा करने और गति देने के लिए। आज मैंने शुक्राचार्य नाम से एक ब्लॉग बना लिया है। शुक्राचार्य नाम भले ही दैत्य गुरु के नाम पर है, लेकिन यह नाम सबसे ज़्यादा प्रासंगिक है। क्योंकि मीडिया और अन्य निजी संस्थानों में उच्च पदों पर आसीन लोगों को निचले पदों पर काम कर रहे लोगों कि न तो प्रतिभा कि क़द्र होती है और न ही उनकी ज़रूरतें समझ में आती है। कम वेतन पर अधिक से अधिक काम लेना उनकी फितरत बन गई है। इसके बाद भी वे सेमिनारों में या अन्य भाषणों में अन्याय और अत्याचार के विरूद्व खुल कर बोलते हैं। ऐसा लगता है कि उनसे बड़ा परोपकारी और दयालु व्यक्ति कोई दूसरा नहीं है। अर्थात वे तो देव तुल्य हैं। प्राचीन काल में देवताओं का मान मर्दन करने का बीडा दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने उठाया था। और अब इस काल में यह काम यह ब्लॉग करेगा। आशा करता हूँ कि इस नेक कार्य में आप लोगों का हमें भरपूर सहयोग मिलेगा। आप भी अपने ऊपर हो रहे शोषण को हमें लिख भेजिए। हम उसे इस ब्लॉग पर प्रकाशित करेंगे। ताकि हमारी आवाज़ न सिर्फ़ उच्च पदों पर आसीन लोगों कि कान तक पहुंचे, बल्कि सरकार में बैठे लोगों और मानवाधिकार संरक्षण कि बात करने वाले लोगों तक भी पहुंचे। आज हमारी एक पहल आने वाली पीढी का भविष्य संवार सकती है। तो आइये हम सब मिलकर एक एक कदम चले ताकि भविष्य की राह आसान हो सके...
आपके सहयोग का आकांक्षी
दैत्यगुरु शुक्राचार्य
सोमवार, 31 अगस्त 2009
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apney sahi desha mai kadam udahya hai swagat hai
जवाब देंहटाएंsunita sharma
freelancer journalist
dhanyavaad sir aapne ish baare me socha to, koi hum journaliston ke bare me kaha sochta hain ...
जवाब देंहटाएंdaityaguru ko naradmuni ka narayan narayan.ham to aapke saath hee hain.
जवाब देंहटाएंदैत्य्गुरु,शुक्राचार्य - पथभ्रष्ट-ब्राह्मण थे, वे अन्याय,अधर्म,अकर्म ,अहं,अति-भौतिकता के प्रतीक दैत्यों के साथ होगये थे एवम समय व इतिहास के कुपात्र बनकर रहगये। आपने ब्लोग का उचित आदर्श वाला नाम नहीं रखा है।
जवाब देंहटाएंjo bhi hai aap ki baat me vajan to hai shukracharya ji....
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